अस्थमा के प्राकृतिक और घरेलु उपचार

अस्थमा एक ऐसी अवस्था जिसमें फेफड़ों में पाए जाने वाले बहुत सारे छोटे वायु मार्ग (ब्रोन्कियल नलियां) सूज जाते  हैं जिसके कारण उनके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं।

इन ब्रोन्कियल नालियों में म्यूकस (बलगम) भर जाता है जिस से फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती।

ऐसी स्थिति में खांसी होती और सीने में जकड़न महसूस होती है। अस्थमा किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकता है।

अस्थमा और उसके लक्षण हर किसी में अलग अलग हो सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए यह लेख पढ़ें।

अस्थमा के पहले संकेत मिलते ही हमे डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए ताकि हम समझ सकें की हम इसे बढ़नेसे कैसे रोक सकें।

क्युकी अस्थमा का कोई पक्का इलाज अभी नहीं मिला है और कई बार संकेतों के पहचाने में गलती या दवाई के आभाव में अस्थमा बिगड़ जाता है।

यदि आपका भी अस्थमा गंभीर अवस्था में है और नियमित दवाएं भी आराम नहीं दे पा रहीं हैं तो कुछ रहत पाने के लिए घरेलु और प्राकृतिक उपचार देख सकते हैं।

बहुत सारे प्राकृतिक उपचार अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सक्षम हो सकते हैं, या जो आपकी दवाइयों की मात्रा काम कर सकती हैं जिस से आपके रोजमर्रा के जीवन में भी सुधार आ सकता है।

यह घरेलु और प्राकृतिक उपचार आपकी अस्थमा की सामान्य रूप से निर्धारित दवाओं के साथ ही लेने चाहिए।

इस लेख में हम कुछ प्राकृतिक और घरेलु उपचारों के बारे में बताएँगे जिन्हें आप अपने अस्थमा के लिए आज़मा सकते हैं।

आहार में परिवर्तन

गंभीर अस्थमा वाले लोगों के लिए ऐसे तो कोई विशिष्ट आहार नहीं है, परन्तु आप अपने आहार में कुछ आसान परिवर्तन करके अपने अस्थमा को और गंभीर रूप लेने से रोक सकते हैं।

अधिक वजन होना भी अस्थमा के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। इसलिए जरुरी है की अस्थमा होने पर एक स्वस्थ और संतुलित आहार ही लेना चाहिए जिसमें मौसमी फल और सब्ज़ियांशामिल होनी चाहिए।

कोशिश करके ऐसे फल और सब्ज़ियां खानी चाहिए जो बीटा-कैरोटीन और विटामिन सी और ई जैसे एंटीऑक्सिडेंट के अच्छे स्रोत हों। ऐसा आहार फेफड़ों के वायुमार्ग के आसपास की सूजन को कम करने में मदद करते हैं और अस्थमा में राहत देते हैं।

कभी किसी खाद्य पदार्थ खाने के बाद अस्थमा के लक्षण बढ़जाते हैं तो कोशिश करके इन्हे खाने से बचें। यह भी हो सकता है की किसी खाद्य एलर्जी के कारन आपका अस्थमा बिगड़ जाता है।

कैफीन

कैफीन एक तरह का ब्रोन्कोडायलेटर है जिसका मतलब है की यह श्वसन में काम आने वाली मांसपेशियों की थकान को काम करता है।

2010 में एक अध्ययन में पता चला था की कैफीन अस्थमा से पीड़ितलोगों के लिए लाभदायक हो सकता है।

यह देखा गया की कैफीन लेने के 4 घण्टे तक ब्रोन्कियल नालियों के काम करने में सुधार होता है।

लहसुन

लहसुन के बहुत ही उपयोगी सब्ज़ी है और एक एक अध्ययन के अनुसार लहसुन में कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। लहसुन का एक गुण यह भी है की यह एंटी इंफ्लेमेटरी है यानि की सूजन को काम कर सकता है।

इसी कारन लहसुन का सेवन करने से फेफड़ों की ब्रोन्कियल नलियों में सूजन कम हो सकती है।

परन्तु अभी तक इस बात के कोई निर्णायक प्रमाण नहीं हैं कि लहसुन अस्थमा की बीमारी को रोकने में कारगर है

अदरक

लहसुन की तरह अदरक में में एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने के ) गुण हैं जो गंभीर अस्थमा में बहुत उपयोगी होते हैं। 2013 में किये गए एक अध्ययन में पता चला था कि अदरक के सेवन करने से अस्थमा के लक्षणों में सुधार होता है।

परन्तु इस अध्ययन से इस बात की पुष्टि नहीं होती की अदरक खाने से फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता में भी सुधार होता है।

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ओमेगा -3 तेल

ओमेगा -3 तेल मुख्यतः मछली और अलसी (फ्लैक्स सीड्स) के तेल में पाया जाता है। ऐसा देखा गया है की ओमेगा -3 तेल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं।

यह तेल गंभीर अस्थमा में ब्रोन्कियल नालियों में होने वाली सूजन को तो काम करता ही है और साथ ही फेफड़ोंके काम करने की क्षमता को बढ़ाता है।

पर अगर आप पहले से ही अस्थमा के लिए मौखिक स्टेरोइड ले रहे हैं तो यह ओमेगा -3 तेल के लाभकारी गुणों को काम कर सकते हैं।

ओमेगा -3 के सेवन को अपनी डाइट में लेने और बढ़ाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

शहद

ठण्ड के मौसम में गले को शांत करने और खाँसी को कम करने में मदद करने के लिए अक्सर शहद का उपयोग किया जाता है।

अस्थमा के लक्षणों से कुछ राहत पाने के लिए हर्बल चाय जैसे गर्म पेय के साथ शहद मिला कर ले सकते हैं।

यह भी जान लेना जरुरी है की इस बात के भी वैज्ञानिक सबूत सिमित हैं कि शहद को वैकल्पिक अस्थमा उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

बुटेको ब्रीदिंग टेक्नीक (Buteyko Breathing Technique)

ब्यूटेको ब्रीदिंग तकनीक (बीबीटी) सांस लेने का एक अभ्यास है। यह धीमी, शांत श्वास लेने का अभ्यास आपके अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

BBT आपके मुंह के बजाय नाक से सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करता है। मुंह से सांस लेने से फेफड़ों के वायुमार्ग ज्यादा सूख सकते हैं और अधिक संवेदनशील बन सकते हैं।

कई लोगों में इस तकनीक का उपयोग करने से सांस के संक्रमण काम होते दिखे हैं। वहीँ कई लोगों का मानना है यह आपके कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।

लेकिन अभी तक इस तकनीक के समर्थन करने के लिए निर्णायक सबूत नहीं हैं।

योग

योग में कई तरह के स्ट्रेचिंग और सांस लेने के व्यायाम शामिल हैं जो न सिर्फ शरीर को लचीला रखते हैं बल्कि फिटनेस को भी बढ़ाने के काम आते हैं।

नियमित योग के अभ्यास से तनाव भी काम होता हो की अस्थमा को ट्रिगर करने का एक मुख्य कारण होता है।

योग में सिखाई श्वसन तकनीक बार बार होने वाले अस्थमा के अटैक को काम करने में मदद करती हैं।

सचेतन ध्यान समाधी

सचेतन ध्यान एक प्रकार की समाधी में ध्यान लगाना है जो इस बात जोर देता है की वर्तमान में आपका मन और शरीर कैसा महसूस कर रहे हैं।

यह ध्यान का अब्यास कहीं भी किया जा सकता है। आपको एक शांत जगह पर बैठ कर आँखें बंद करके ध्यानमग्न होना है और और अपने शरीर में विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं पर अपना ध्यान केंद्रित करना है।

नियमित अभ्यास से सचेतन ध्यान आपके तनाव को काम करता है और दवाई के साथ पूरक बन कर अस्थमा के लक्षणों में भी राहत देता है।

पापवर्थ विधि – Papworth Method

पैपवर्थ विधि एक श्वास और विश्राम की तकनीक है जिसका उपयोग 1960 के दशक से अस्थमा से पीड़ित लोगों की मदद के लिए किया जाता है।

इसमें तकनीक में सांस के लिए आपकी नाक और डायाफ्राम के मदद से श्वास लेने का पैटर्न बनाया जाता है।

फिर इन श्वसन पैटर्न को उन विभिन्न गतिविधियों के समय उपयोग कर सकते हैं जो आपके अस्थमा को बिगाड़ सकते हैं।

इस व्यायाम विधि को अपनी दिनचर्या के हिस्से के रूप में शामिल करने से पहले इसका प्रशिक्षण लेना उचित रहता है।

एक्यूपंक्चर

एक्यूपंक्चर एक प्राचीन चीनी चिकित्सा है जिसमें शरीर पर छोटी सुइयों को विशिष्ट बिंदुओं पर रखना जाता है।
एक्यूपंक्चर ,अस्थमा में लम्बे समय तक मिलने वाले लाभ के लिए प्रभावी साबित नहीं हुआ हैं।
लेकिन अस्थमा से पीड़ित कुछ लोगों ने यह पाया है कि एक्यूपंक्चर वायु प्रवाह को बेहतर बनाने और सीने में दर्द जैसे लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करता है।

स्पेलोथेरेपी -Speleotherapy

स्पेलोथेरेपी में अस्थमा का रोगी नमक के कमरे में समय बिताता है ताकि नमक के छोटे कण उसके श्वसन तंत्र में प्रवेश कर सकें। इस बात का अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है की अस्थमा के खिलाफ स्पेलोथेरेपी एक प्रभावी उपचार है परन्तु एक अध्ययन में देखा गया है की यह फेफड़ो के कार्य को थोड़े समय तक जरूर आराम दे सकता है।

सम्मोहन चिकित्सा / हिप्नोथेरपी

सम्मोहन चिकित्सा से सम्मोहन का उपयोग करके किसी व्यक्ति के दिमाग को आराम दिया जा सकता है जिस से वह नए तरीके से सोचने, महसूस करने और व्यवहार कर सकता है।

हिप्नोथेरपी से भी मांसपेशियों को आराम दिया जा सकता है और अस्थमा के रोगियों के सीने में महसूस होने वाली जकड़न से आराम मिलता है।

निष्कर्ष :

कुछ प्राकृतिक और घरेलु उपचार अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। परन्तु आप सिर्फ इन पर निर्भर न हो कर उन दवाओं के भी लेते रहे जो आपके डॉक्टर ने लेने के लिए कहा है।
इन में से कई उपचारों का ऐसा कोई सुबूत नहीं की वे अस्थमा में आराम देते हैं ही हैं।

यह उपचार सिर्फ एक पूरक चिकित्सा की तरह ही लिए जाने चाहिए और इनका इस्तेमाल अपने डॉक्टर से बात करने के बाद ही करना चाहिए। इनका उपयोग तब तक ही करना चाहिए जब तक आपको इनका कोई भी दुष्प्रभाव न दिखे।

Image by Bob Williams from Pixabay

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